हिन्दी के पाठकों का प्रेमचन्द की कहानियों के प्रति विशेष आकर्षण रहा है । वे कहानियाँ यदि लेखक की भी पसंदीदा हों और उन्हें आलोचकों ने भी सराहा हो तो कहाना ही क्या । ऐसी ही चुनिंदा कहानियों को पाठकों के लिए इस पुस्तक में संग्रहीत किया गया है । यथार्थ की सच्चाइयों से रूबरू कराती इन कहानियों को पढते हुए पाठक उनमें पूरी तरह खो जाता है ।यहीं कहानीकार की सफलता का मूल मन्त्र है और यहीं प्रेमचन्द की विशेषता है ।
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